तिज़ारत
लोन से गाड़ी लेने का तरीक़ह
सवाल
कंपनी से गाड़ी नक़द लें तो ६०००० और उधार बैंक के हफ्ते से लें तो ७२००० और बड़ी गाड़ी तो नक़द ले ही नहीं सकते क्यों के टेक्स वाले पकड़ करते है. इतने वाइट पैसे कहाँ से लाये लिहाज़ा मुफ़्ती साहब कोई आसान शक्ल बतलाने की गुज़ारिश. लोग सूद के गुनाह में मुब्तला हो रहे है
गाड़ी नक़द ले तो
६०००० और उधार हफ्ते से बैंक के ज़रिये ले तो
७२००० इस तरह गाड़ी लेने का क्या हुक्म है ?
जवाब
गाड़ी खरीद की हस्बे ज़ैल तीन सूरतें हैं.
१. अगर डीलर या डीलर का फाइनेंसर गाड़ी बेचने वाला है. चाहे नक़द बेचे या उधार किस्तों - हफ़्तों पर. और सारा मुआमला डीलर या उस के फाइनेंसर्स ही से हो रहा है अंदर में बैंक का कोई दखल नहीं. तो उधर खरीदने के वक़्त उस की नक़द के मुक़ाबले कितनी ज़यादह कीमत देनी है और कितने महीनों में देनी है ये बात साफ़ कर दी जाये और हफ़्तों से पैसे या चेक डीलर ही को दिए जाये तो ये मुआमला जाइज़ है.
२. अगर बेचने वाला बैंक या फाइनेंसर हो और गाड़ी की चाबी और क़बजह भी उसी से लिया जाये और बैंक के नाम से चेक दिए जाये कंपनी का बिच में कोई वास्तह न हो तो ये सूरत भी जाइज़ है .
३. अगर बेचने वाला डीलर है और बैंक खरीदने वाले की तरफ से डीलर को अभी पूरी कीमत अदा कर देता है . और फिर आइन्दाह किस्तों - हफ़्तों की शक्ल में अपनी अदा की हुई रक़म कुछ ज़ाइद मिक़दार के साथ खरीदने वाले से वुसूल करता है, ये ज़ाइद मिक़दार सूद कहलाती है इसलिए शरीअत में ये मुआमला दुरुस्त नहीं .
(महमूदुल फतावा ३ /५० मुर्शिदी हज़रत अक़दस मुफ़्ती अहमद खानपुरी दा.ब. की)
शर्त पर गाडी (व्हीकल) लेना
सवाल
आज कल गाडी की ज़रुरत हो तो गाडी की कीमत से कम पैसा देने पर गाड़ी मिलती है,
मसलन ३०००० रुपये दो तो ५०००० या ६०००० वाली गाडी इस्तेमाल के लिए मिलती है ,
जितने महीने इस्तेमाल करनी हो इस्तिमाल कर के वापस देना शर्त होता है .
जब वापस देने जाना हो तो अगर गाड़ी में कुछ खराबी पैदा हुई है तो उसे रिपेरिंग करवा कर उसी हालात पर गाडी वापस देना शर्त होता है.
शर्त के मुवाफ़िक़ गाडी लौटाई जाये तो गाडी वाला उस गाडी की दी हुई कीमत मसलन ३०००० पूरी देता है वरना रिपेरिंग खर्च काट लेता है तो इस तरह गाड़ी खरीदना जाइज़ है ?
अगर जाइज़ ना हो तो जाइज़ होने की सूरत बताने की गुज़ारिश, क्यों के बहोत से लोग ऐसा कर रहे है. इसे लोग रहन पर गाड़ी लेना कहते है.
जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
वापस करने की शर्त के साथ गाडी खरीदना और बेचना जाइज़ नहीं.
कोई चीज़ खरीदने के बाद खरीदने वाला उसका मालिक बन जाता है, इसलिए उस पर वापसी की शर्त लगाने से मुआमला फ़ासिद - ख़राब और ना जाइज़ हो जाता है.
दुसरी खराबी इस में ये है के गाडी पैसे (कीमत) दी है वह उधार - क़र्ज़ के हुकम में है, पैसे उधर देकर गाड़ी से नफा उठाना सूद कहलायेगा. जो बड़ा ही सख्त गुनाह है.
इस के जवाज़ की शक्ल ये है के वापस करने की शर्त गाडी देते वक़्त न लगाई जाये बल्कि जितनी कीमत देकर गाड़ी देनी हो उतनी कीमत लेकर उसे गाड़ी बेच दी जाये. शरीअत में ज़बानी बेच देना काफी है. बेचने को लिख कर देना ज़रूरी नहीं, बेचने के बाद उस से वादह लिया जाये के गाडी हम को ही वापस देना तुम्हारी पूरी कीमत हम तुम को गाड़ी असली हालात पर लौटाने की सूरत में वापस कर देंगे.
खरीदार का गाडी वापस करना अख़लाक़ी फ़रीज़ा कहलायेगा .
फतावा महमूदिया दाभेल १६ / २५८ बा हवाला
रद्दुल मुहतर ५ /२७५
و اللہ اعلم