जाइज़ नाजाइज़
जुमा मुबारक का हुक्म
सवाल
जुमा मुबारक कहना कैसा है ?
जवाब
जुमा का दिन बा बरकत है उस बरकत के इज़हार के लिए या बतौर दुआ मुसलमानो का बहम एक दूसरे को जुमा मुबारक कहना या इस (का एसएम्एस भेजना ) फी नफ़्सिही - बज़ाहिर जाइज़ तो है मगर मुस्तक़िल - खास तौर पर जुमा दिन का शरई जुज़्व - हिस्सा और रस्म बना लेने की गलती न हो जाये (अब तो व्हाट्सएप्प पर बाज़ लोगों ने रसम बना ली है) इसलिए बाज़ अहले इल्म ने मना किया है.
फ़क़त वल्लाहु आलम.
(दारुल इफ्ता जामिआ उलूमि इस्लामियाह बिननोरी तआवुन करांची का फतवा तशील (अल्फ़ाज़) को आसान करने के साथ)
उसूल (१).
किसी काम के बारे में सुन्न्त और बिदअत होने में शक हो तो उस से भी छोड़ देना बेहतर है तो जिस काम के बारे में बिदअत और मुबाह (जाइज़ होने में शक हो) और रस्म बन जाने का खतरा हो उस को तो बा तरीके अबला छोड़ देना चाहिए.
उसूल (२)
बल्कि जिस काम में नफा हो लेकीन नुकसान का भी खतरा हो तो शरीअत ने नफा हासिल करने के मुक़ाबले में नुकसान से से बचने को बेहतर कहा है.
(रस्मुल मुफ़्ती)
ये दो उसूल इख़्तियार कर लिए जाये तो तमाम ऐसे काम जिस के बिदअत और जाइज़ होने में इख़्तिलाफ़ है उम्मत को उन शक वाले कामो से नजात मील जाये.
बाज़ ममालिक में जुमा का दिन पता नहीं चलता तो उस की याद दिहानी के लिए जुमा मुबारक कहते है उन को भी चाहिए याद दिहानी के लिए जुमा मुबारक कहने के बजाये जुमा की किसी सुन्न्त की दावत दी जाये तो ये मक़सद भी हासिल हो जायेगा. मसलन आज जुमा है मस्जिद जल्द पहुचने की सुन्न्त हम अदा करे वगैरह.
(माख़ूज़ अज़ फतावा रहीमियाह २ /१८७
सवाल
क्रैडीट, डेबिट, चाजँ कार्डके हुकम
आज कल अलग अलग किस्म के क्रैडीटकार्ड बाज़ार में चल रहे हैं क्या उनको इस्तेमाल कर सकते हैं?
जवाब
आज कल तीन किस्म के क्रैडीट कार्ड मशहूर हैं.
1. डेबीट कार्ड
2. चाजँ कार्ड
3. क्रेडिट कार्ड.
1. डेबीट कार्ड :-- इस कार्ड के रखनेवाले का एकाउन्ट पहले से बैंक में मौजूद रहता है, जिस बेंक का उसने कार्ड हासिल किया है, कार्ड रखनेवाला जब भी उस के कार्ड को इस्तेमाल करता है, बैंक उसके एकाउन्टमें से मौजूद रकम मै से उसकी अदायगी कर देती हैं.उसमें कार्ड रखनेवालेको उधार (credit) की सहुलत हासील नहीं होती.बल्कि सिर्फ उस वक्त तक कार्डको इस्तेमाल कर सकता है जब तक उसके एकाउन्टमैं रकम मौजुद है,बैंक इस कार्ड को चालू रखनेकी फीस वसूल करती हैं. इस कार्ड का इस्तेमाल बेशक़ जाइज़ हैं. इसके जरीये खरीद -व-फरोखत, ले-बेच, दुरुस्त है. क्योंकि इसमें ना कर्ज की सूरत है ना सूद (व्याज - ईन्टरेस्ट) की. अलबत्ता कार्ड रखनेवालेकी ये जिम्मेदारी होती है की उस कार्ड को गैरशरई कामो में ईस्तेमाल ना करे.
2.चाजँकार्ड :इस कार्ड के रखनेवाले का बैंक में एकाउन्ट पहले से नहीं होता. बल्कि बेंक कार्ड रखनेवाला को उधारकी सहूलत देती हैं. कार्ड रखनेवाला को एक मुतय्यन ( fix) दिनोकीउधारीकी सहूलत मीलती हैं. जीस मे उस बैंक को रकम अदा करना जरुरी होता है. अगर उस मुदृत में रौनकी अदायगी हो जाए तो सूद नही लगता. अलबत्ता कार्ड रखने वाले ने वक़्त पर अदायगी ना की तो फिर उसके सूदके साथ अदायगी करनी पडती हैं. बैंक इस कार्ड को चालू रखनेकी फीस वसूल करती हैं. इस कार्ड को नीतो दिये हुए शराईत के साथ इस्तेमाल करना जाइज़ हैं.
(1) कार्ड रखनेवाला इस बात का पुरा इन्तजाम करें.मुतय्यन तैय सुदा वकत् से पहले रकमकी अदायगी कर दे. और कीसी भी वकत सूद जिम्मे में आनेका कोई ईमकान बाकी न रहे.
(2).कार्ड रखनेवालेकी ये जिम्मेदारी है की उस कार्ड को गैरशरई कामो में ईस्तेमाल ना करे.
3.क्रेडीट कार्ड :-
इस कार्ड के रखनेवाले का बैंक में कोई एकाउन्ट नहीं होता. बल्कि मुआहदा ( एग्रीमेऩ्ट / कोन्टा्क्ट) ही सूद के साथ उधार लेने पर करता है.इस मुआहदा ( एग्रीमेऩ्ट / कोन्टा्क्ट) में अगरचे बैंक एक मुतय्यन ( fix) मुदित देती है जीस मे अगर कार्ड रखनेवाला रकमकी अदायगी कर दे तो उसे सूद नही देना पडता.लेकिन शरुआत ही में मुअाहदा सूदकी बुनियाद पर होता है और उसकी अदायगी का वादा होता है. इसके अलावा इसमे मुदृतको तजदीद - रीन्यु करनेकी सहुलतभी मौजूद होती हैं. जिससे रकमकी अदायगी की मुदृत बढ जाती है अलबत्ता उसके साथ साथ सूद का फीसद - परसन्टेज ( %) में ईजाफा हो जाता है. बाज़ सुरतौं मैं ज़्यादा रकम ली जाती है उसका हुक्म ये है की इस कार्डका इस्तेमाल करना जाइज नहीं. मगर ये के डेबिट कार्ड / चार्ज कार्ड अलग से ना मीलता हो ओर उसे डेबिट कार्ड / चार्ज कार्ड की तरह उपर जाये हुए शराईत के साथ ईस्तेमाल क्या जाये. इन तमाम कार्डको के्डीट कार्ड कह दीया जाता है.लेकिन जो असल में के्डीट कार्ड है उसका ईस्तेमाल जाईज़ नही. अलबत्ता के्डीट कार्ड का लफज़ उपर दी हुई दो 2 किस्म पर बोला जाये तो ईस्तेमाल जाईज़ है. उनके अलावा कारिका एक किस्म जिसे एटीएम ATM कार्ड कहते है , ये रकम निकालने का कार्ड होता है , बाझ दफा उस्का पाया जाना उपर जिक्र किये हुए कार्डके जिम्मे, साथ- साथ भी होता है. मसलन् ये मुमकिन है कि डेबीट कार्डमे एटीएम ATM से रकम निकालने की सहुलत भी मौजूद हो.
इस कार्ड का हुकम ये है के उसके इस्तेमाल करने पर अगर मुतअय्यन रकम मशीन में के इस्तेमाल के उजरत व मजदूरी के तोर पर बैंक वसूल करे तो वो मजदूरी रकम के कम ज़ियादा होने के ऐतबार से न हो तो जाइज़ है, लेकिन अगर बैंक रकम को कम ज़ियादा की बुनियाद बना कर उसके ऐतबार से ही कुछ वसूल करे तो जाइज़ नहीं, क्यों के ये सूद कहलायेगा, अलबत्ता बैंक कार्ड चालू करने की फिश वसूल कर सकता है.
फतवा उस्मानी जिल्द ४, साफ ३५४
हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद तक़ी उस्मानी साहब कराची.